जालंधर, 10 सितम्बर :
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और विधायक पद्मश्री परगट सिंह ने आरोप लगाया कि एसडीआरएफ में 12000 करोड़ रुपए के फंड को लेकर केंद्र सरकार और पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार एक दूसरे पर ब्लेम-गेम खेल रही हैं। बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास मैनेजमैंट बोर्ड) और पंजाब सरकार भी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। दोनों ही मामलों में पारदर्शिता नहीं दिखाई जा रही है।
सही आंकड़ों को छुपा कर पंजाब के लोगों को गुमराह किया जा रहा है। इनकी सच्चाई पंजाब के लोगों के सामने लाने के लिए हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच करवाई जानी जरूरी है, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। साथ ही उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित पंजाब के लिए मात्र 1600 करोड़ रुपए का पैकेज भी लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है, इससे निराशा बढ़ी है।
उन्होंने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से कड़े सवाल किए। परगट सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कह रहे हैं कि पंजाब के पास एसडीआरएफ में 12000 करोड़ रुपए हैं। अगर यह फंड है, तो बाढ़ पीड़ित परिवारों तक क्यों नहीं पहुँचा? अगर खर्च हो चुका है, तो कहां खर्च हुआ? पंजाब सरकार इस पर चुप क्यों है? सच सामने आना चाहिए।
उधऱ, बीबीएमबी और पंजाब सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का खेल जारी है। बीबीएमबी पंजाब सरकार को दोष देता है और राज्य सरकार बीबीएमबी पर आरोपी बता रही है। लेकिन पारदर्शी डाटा कहां है? लोगों को बहाने नहीं, जवाबदेही चाहिए। क्या केंद्र और राज्य एक ही सिक्के के दो पहलू, सिर्फ़ ज़िम्मेदारी से भाग रहे या फिर पंजाब के खिलाफ कोई साजिश है?
परगट सिंह ने सिटिंग हाईकोर्ट जज से न्यायिक जांच करवाई जाती है तो सच्चाई सामने आ सकती है। तभी केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी तय होगी। उन्होंने कहा कि यह त्रासदी सिर्फ प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानवीय लापरवाही से और बढ़ी है। जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी, पंजाब को बार-बार इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
परगट सिंह ने एक बार फिर कहा कि पंजाब पिछले लगभग चार दशकों की सबसे भयानक आपदा झेल रहा है। पूरे गांव डूब चुके हैं, लाखों एकड़ फसल बर्बाद हो चुकी है, घर और पशुधन नष्ट हो चुके हैं। ऐसे कठिन समय में पंजाबियों ने राष्ट्रीय अपनापन और गले लगाने की उम्मीद की थी। लेकिन उन्हें जो मिला वह नुकसान की सतह को भी नहीं छूता। यह राहत नहीं, केवल कागज़ी खानापूर्ति है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि पंजाब को एक समग्र पुनर्वास योजना चाहिए, न कि टोकन घोषणाएं। सरकार को चाहिए कि वह कम से कम राष्ट्रीय आपदा घोषित करना, किसानों के कर्ज माफ करना, किसानों और भूमिहीन परिवारों को सीधी नकद सहायता देना और समयबद्ध व पारदर्शी व्यवस्था बनाने को लेकर कदम उठाएं। पंजाब को केवल हमदर्दी की बातें नहीं, बल्कि सम्मान, इज्जत और असली राहत चाहिए।