नरेश भारद्वाज
जालंधर। विेधायक रमन अरोडा और एटीपी सुखदेव वशिष्ठ को बुधवार को अदालत से जमानत मिल गई है। दोनों निचली अदालत से जमानत भरकर बाहर आ जायेंगे।
जिक्रयोग है कि 14 मई 2025 को इंजीनियर्स एंड बिल्डिंग डिज़ाइनर्स एसोसिएशन, जालंधर के तीन पदाधिकारियों द्वारा पंजाब विजिलेंस ब्यूरो को एक संयुक्त शिकायत प्रस्तुत की गई। इसमें आरोप था कि नगर निगम के सहायक टाउन प्लानर (ATP) सुखदेव वशिष्ठ अवैध रूप से रिश्वत मांगते थे और लोगों को उनकी इमारतें सेवार या गिराने की धमकी देते थे।
  
• इस शिकायत के आधार पर 14 मई 2025 को FIR नंबर 23, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (धारा 7) के तहत दर्ज की गई और सुखदेव वशिष्ठ को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया।
  
2. जांच से जुड़े मुख्य तथ्य
• जांच के दौरान वशिष्ठ के कार्यालय और आवास से सैकड़ों आपराधिक दस्तावेज और नोटिस बरामद किए गए, जिनमें से कई रिकॉर्ड में न थे, और कुछ मामलों पर कार्रवाई लंबे समय से लंबित थी।
  
• यह भी पता चला कि वशिष्ठ और MLA रमन अरोड़ा ने मिलकर एक भ्रष्टाचार नेटवर्क बनाया था। उनके अनुसार, वशिष्ठ कथित उल्लंघनों की नोटिस जारी करता और फिर प्रभावित व्यक्ति विधायक के पास भेजे जाते थे, जो उन मामलों को रिश्वत लेकर निपटा देते थे। यह अंदाजतः 75–80 ऐसे नोटिसों से जुड़ा हुआ था।
  
3. रमन अरोड़ा की गिरफ्तारी और रिमांड
• सुखदेव वशिष्ठ की गिरफ्तारी और पूछताछ के बाद रमन अरोड़ा का नाम सामने आया। विजिलेंस ने 23 मई 2025 को अरोड़ा के घर पर रेड की, जिसमें 1.5 किलो सोना, ₹6 लाख कैश और करोड़ों की प्रॉपर्टी के दस्तावेज जब्त किए गए थे