पंजाब सरकार द्वारा मुस्लिम समाज के नेता बारी सलमानी को अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष से हटा कर प्रमुख पेंटेकोस्टल पादरी अंकुर नरूला के करीबी सहयोगी जतिंदर मसीह गौरव को पंजाब राज्य अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष नियुक्त करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
जालंधर से आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट सिरमनजीत सिंह ने मुख्य सचिव से शिकायत की है पंजाब सरकार ने संवैधानिक पद पर जतिंदर मसीह उर्फ गौरव की नियुक्ति करते समय कानून को ताक पर रखा गया है। एडवोकेट सिमरनजीत सिंह ने कहा कि अगर नियुक्ति रद्द नहीं होती तो वह हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे।
एडवोकेट सिमरनजीत सिंह ने कहा कि आमतौर पर, मुख्यधारा के प्रोटेस्टेंट या कैथोलिक चर्चों के लोगों को इस पद पर नियुक्त किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में पंजाब में पेंटेकोस्टल चर्चों की संख्या में असाधारण वृद्धि देखी गई है। गुरदासपुर के कलानौर में एक प्रोटेस्टेंट परिवार से ताल्लुक रखने वाले जतिंदर रंधावा लगभग एक दशक पहले पादरी नरूला के अनुयायी बन गए और उन्होंने अपना नाम जतिंदर मसीह गौरव रख लिया। एक करीबी और विश्वसनीय सहयोगी बनने के बाद, अंकुर नरूला को मिनिस्ट्रीज मैनेजमेंट कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वह ग्लोबल क्रिश्चियन एक्शन कमेटी के अध्यक्ष भी हैं।
मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र में कहा है कि जतिंदर उर्फ गौरव मसीह पहले ईसाई नहीं था लेकिन कुछ समय पहले उसने धर्म को अपनाया और अंकुर नरूला का अनुयायी बन गया। एडवोकेट सिमरन का कहना है कि सरकार के इस कदम से धर्मांतरण को बढावा मिलेगा। जबकि मूल ईसाई समुदाय के लोग अपने हक से वंचित रह जाएंगे।