नरेश भारद्वाज
जालंधर। दस दिन तक पुलिस कमिशनर व अन्य अधिकारियों को फोन की घंटियां करवाकर परेशान किया फिर मीडियाकर्मियों को 10 लाख रुपये देने के लिए बदनाम किया और अब चुपचाप मामले में समझौता कर लिया। इस चक्कर में एक डीसीपी की भी क्लास लग गयी और उसके तबादले पर फिर से तलवार लटकने लगी। 4 दिन तक मीडिया का तमाशा बना रहा और अब मामला निपट गया। यह घटना जालंधर ही नहीं राष्ट्रीय मीडिया के लिए सबक है कि कैसे रहीसजादे इस्तेमाल करते हैं और बदनाम करते हैं।
मामला जालंधर के नटोरियस क्लब का है। शनिवार की घटना का समझौता शनिवार को महज 14 दिन बाद ही हुआ लेकिन इन 14 दिनों में मीडिया का खूब जलूस निकला, दस लाख ले गए, दस लाख ले गए ? किसी ने तथाकथित पत्रकार व प्रधान को कटघरे में खड़ा किया। किसी ने A,N,I ्अक्षर वाले प्रधान का जिक्र किया, किसी ने बोला मेरे नाम के 40 हजार डकार गए…पूरा मीडिया इस चक्कर में उलझाकर रखा गया। क्या यह एक साजिश थी कि मीडियाकर्मी आपस में उलझ जाएं और मामले में रिपोर्टिंग से दूरी बना ले ? हुआ भी ऐसा ही मीडिया ट्रायल जो इस गुंडागर्दी का होना चाहिए, वह नहीं हो पाया।
पहले ही पता था कि दीपक बाली इस मामले में समझौता करवा रहे हैं। उनके साथ नितिन कोहली भी लगे हुए हैं। मल्होत्रा ने प्रापर्टी का कारोबार तो करना है, इतने बड़े महारथियों से पंगा लेने के बाद कारोबार के पिल्लर भी कांप सकते थे। वह इस नाजकत को भांप गया और खुद ही दीपक बाली व देवी तालाब मंदिर के प्रधान के समक्ष सरेंडर कर दिया। दीपक बाली खुद एक मीडिया संस्थान से लंबे समय से जुड़े रहे हैं.. क्या मीडिया के कपड़े जो इस चक्कर में उतारे गए हैं, उसका खुलासा व गुनाहगार उनको खोजना नहीं चाहिए ? जालंधर के मीडिया ने उनको हमेशा सिर पर बैठाया है क्या वह इस मामले में दूध का दूध व पानी का पानी नहीं करना चाहिए…लेकिन सर आजकल पहली पंक्ति के नेता बन चुके हैं। मामले में टैबी भाटिया ने माफी मांग ली है और ईस्ट वुड वाले मल्होत्रा ने माफ कर दिया है।