नरेश भारद्वाज
जालंधर। नेता जी ने पांच हजार बहनें बनाकर एक संदेश देने की कोशिश की है कि चुनाव में उनकी बहनें उनको वोट भी देंगी और दिलाएंगी भी। नेता जी पहले अपनी बहनों को एक एक हजार रुपये दिला दो, जो पिछले पौने चार साल से सरकार दबाकर बैठी है।
नेता जी बहनों को उनको हक दिलाना भाई का नैतिक फर्ज है। रक्षा बंधन केवल एक रस्म नहीं, बल्कि भावनाओं की डोरी है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि चाहे जिंदगी कितनी भी व्यस्त क्यों न हो जाए, भाई-बहन का रिश्ता सबसे खास होता है। राखी की एक डोरी में बचपन की शरारतें, साथ बिताए गए पल, और एक-दूसरे के लिए असीम प्रेम बंधा होता है।
राखी बाँधते वक़्त बहन की आँखों में जो चमक होती है, वह दुनिया की सबसे सच्ची खुशी होती है।
भाई की कलाई पर बंधी राखी न सिर्फ धागा है, वो बहन के विश्वास और प्यार का प्रतीक है।
नेता जी एक नेता बन सकते हैं बेशक बहनों को उनका हक दिलाकर। पार्टी व सरकार आती जाती रहती है लेकिन राखी का धागा भले ही कमजोर हो, लेकिन यह रिश्ता सबसे मजबूत होता है।
नेता जी, यह न हो कि वोट लेने के बाद अगले साल आप इन बहनों को भूल जाओ, अभी तो दीपावली आ रही है उसके अगले दिन टिक्का है, यानी बहन भाई को तिलक लगाती है। तैयारी रखना, उस कार्यक्रम की भी। कोशिश करो कि उससे पहले पहले बहनों को एक-एक हजार दिलवाने की। आप भाई होने का पूरा फर्ज निभाओगे। वर्ना संदेश जायेगा कि यह राखी नहीं वोट की मांग है….
वही एक बहन ऐसी भी थी जिसकी कुर्सी छीन ली गयी तो आपके मुंह से आह भी नहीं निकली उल्टा बहन के खिलांप तानाबाना बुना।