कपूरथला, 26 सितंबर (कुलदीप शर्मा)
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने कपूरथला पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए, एक घोषित अपराधी को छह साल से ज़्यादा समय से गिरफ्तार न करने पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया है।
अदालत ने यह राशि पंजाब के मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करने का आदेश दिया है।
यह मामला राजेश महाजन से जुड़ा है, जिनके खिलाफ 31 अगस्त, 2017 को कपूरथला थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था। उनकी अग्रिम ज़मानत याचिकाएँ तीन बार खारिज की गईं और 2019 में कपूरथला की निचली अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया। हालाँकि, अग्रिम ज़मानत की घोषणा के बावजूद, पुलिस ने बाद के वर्षों में उन्हें पकड़ने का कोई सार्थक प्रयास नहीं किया।
यह मामला एक बार फिर तब सुर्खियों में आया जब महाजन ने हाल ही में ज़मानत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया। स्पष्टता की माँग करते हुए पीठ ने कपूरथला के एसएसपी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अपने हलफनामे में एसएसपी ने स्वीकार किया कि जाँच अधिकारियों के स्तर पर गंभीर चूक हुई थी।
उच्च न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए आरोपी को निचली अदालत में आत्मसमर्पण करने और ज़मानत के लिए आवेदन करने का आदेश दिया। साथ ही, उसने एसएसपी को घोर लापरवाही के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए उन पर आर्थिक जुर्माना लगाया और निर्देश दिया कि 2019 से मामले से जुड़े सभी जाँच अधिकारियों और थाना प्रभारियों (एसएचओ) के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जाए। अदालत ने आदेश दिया है कि ऐसी कार्यवाही तीन महीने के भीतर पूरी की जाए।
जालंधर स्थित एक कार्यकर्ता का कहना है, “यह फैसला पुलिस की जवाबदेही पर एक कड़ा संकेत देता है, क्योंकि उच्च न्यायालय ने कहा कि लंबे समय तक निष्क्रियता ने आपराधिक न्याय प्रक्रिया को कमज़ोर किया है और आरोपियों को वर्षों तक कानून से बचने का मौका दिया है।”