जालंधर। सियासत अजीब खेल खेलती है कब कौन किसके साथ मिल जाये कुछ कहा नहीॉ जा सकता। आजकल दो दुश्मनों का प्यार परवान चढ रहा है। कालिया व राठौर कभी एक दूसरे को देख नहीं पाते थे आज उनकी मुहब्बत के चर्चे गली गली है। दोनों में मुहब्बत व नज़दीकियाँ केडी भंडारी की वजह से आयी हैं जो आप विधायक रमन अरोडा को भाजपा में लाने के लिए रेड कारपेट तैयार कर रहे हैं। तय है कि आप विधायक अगर भाजपा में आये तो वह केंद्र से ही कमल के फूल पर लडेंगे। लिहाजा राठौर व कालिया दोनों का पत्ता कटना तय है।
राकेश राठौर 2007 के बाद सत्ता में आई अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार में शहर के मेयर बने थे। उसके बाद से ही राठौर ने विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी दावेदारी पेश करनी शुरू कर दी थी। भाजपा व संघ से जुड़े परिवार से होने के नाते राठौर को पार्टी ने विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारने के बजाय संगठन में रखना ज्यादा बेहतर समझा था। अब राठौर को संगठन में काम करते हुए 18 साल हो रहे हैं। नतीजतन उन्होंने अंदरखाते अपनी दावेदारी पेश कर दी है। पार्टी ने इस बार पंजाब के चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है, इसलिए भाजपा के तमाम नेताओं के चेहरे फूल की तरह खिल उठे हैं।
राठौर या तो केंद्र या नार्थ से टिकट मांगेगे अगर रमन अरोडा की एंट्री हो गयी तो कालिया व राठौर दोनों का पत्ता कट जाएगा।
वाह री सियासत, दोनों दुश्मनों ने मुहब्बत में थामे हाथ प्यार का हुआ इजहार, भंडारी के सिक्सर से घबराये दोनों दीवाने
