नरेश भारद्वाज
जालंधर। हिंदी फिल्म का गाना है, हमें तो जो मिले बेवफा मिले… यह गानी फिल्म का है लेकिन वर्तमान सियासत पर फिट बैठता है। किसी समय दोआबा की सियासत की किंगमेकर बीबी राजविंदर कौर थियाड़ा अब अलग थलग पड़ने लगी है।
पंजाब में आप के चुनावों से पहले कैंट की टिकट की आफर बीबी थियाडा को थी लेकिन थियाड़ा ने कैंट से हॉकी खिलाड़ी सोढ़ी को ज्वाइन करवा लिया। लेकिन सत्ता आते ही सोढ़ी ने बीबी थियाडा के खिलाफ झंडा उठाया। बीबी ने अपने भाई जिसको वह राखी बांधती थी, मंगल सिंह बॉसी को पंजाब एग्रो का चेयरमैन बनाया लेकिन बाद में बासी ने बीबी की मखालफत की। अपनी टीम अलग कर कैंट का बेटा नाम से पेज शुरू किया। बारी सलमानी जोकि बीबी थियाडा के जरिए दीपक चौहान से मिला था और पंजाब अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन बना उसने भी खेमा बदल लिया। बाद में मलकीयत सिंह को टिकट दी गयी और पार्षद बनने के बाद वह डिप्टी मेयर की कुर्सी पर पहुंचा, इसमें भी बीबी थियाड़ा का योगदान था। लेकिन वह आज बीबी के खिलाफ धड़े नितिन कोहली का खास बंदा है। पूजा सिंह की घटना तो आजकल की है। वह बीबी थियाड़ा को अपनी बहन करती थी लेकिन वह आजकल दीपक बाली के खेमे में दिखाई दे रही है। दीपक बाली भी बीबी थियाड़ा के इर्द गिर्द रहते थे, जब पंजाब के प्रभारी संदीप पाठक थे लेकिन अब दीपक बाली ने बीबी थियाड़ा को क्रास कर अपना सिक्का दिल्ली दरबार तक बना लिया है। लंबी लिस्ट है, इसमें कई ऐसे नेता हैं जो बीबी थियाडा के खिलाफ गली गली बोल रहे हैं। क्या करें, यह सियासत है भाई यहां सब चलता है।