नरेश भारद्वाज
जालंधर। जालंधर में चारों विधानसभा हलकों की तरफ से मान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन रखा गया था लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि भाजपा के कार्यक्रम शहर में फ्लाप साबित हुए हैं। भाजपा जो चार विधानसभा हलकों में 2022 में 1,15 हजार 277 मत लेकर आई थी और लोकसभा में पिछले साल लोकसभा में 2 लाख 14 हजार 60 मत पड़े थे वह भाजपा हर विधानसभा हलके में 100-100 कार्यकर्ता नहीं जुटा पाई। वेस्ट को छोड़कर बाकी सभी हलकों में हवा निकली हुयी थी।
नार्थ में 37 हजार मत भाजपा को मिले थे और इसी तरह केंद्रीय हलके में जबरदस्त वोट मिले थे। लेकिन सवाल खड़ा हो रहा है कि पीएम मोदी के नाम पर ऑक्सीजन लेकर चल रही भाजपा की हालत जमीनी स्तर पर इतनी पतली क्यों है ? पार्टी के कैडर में निराशा है। लंबे समय से एक चेहरे ही पार्टी के पदों पर कब्जा कर बैठे हैं। पार्टी के फ्रंटल संगठन ठंडे पड़े हुए हैं। पार्टी में गुटबाजी भी चरम है। जिला प्रधान अपनी तरह की राजनीति करते हैं। वह अश्वनी शर्मा के समय भी प्रधान थे, जाखड़ के समय भी रहे और अब भी प्रधान है। पार्टी युवाओं से दूर हो रही है, व्यापारी वर्ग की सुध नहीं ले रही है जबकि दूसरी तरफ से कांग्रेस व आप शहरी वोट पर फोक्स कर रही है।
चर्चा होती रही कि पार्टी के 85 तो वार्ड प्रधान है, मंडल प्रधान से लेकर संगठन तक है तो फिर वर्करों में निराशा क्यों है ?